रविवार, 3 अक्टूबर 2010







२ अक्टूबर गाँधी जयंती :

आत्मीय परिजन २ अक्टूबर यह शुभ दिन महात्मा गांधीजी जैसे महान आत्मा का इस धरती पर जन्म हुआ था। और इसी दिन श्री लाल बहादुर शास्त्री जैसे कर्म वीर देश भक्त एवं हमारे पूर्व प्रधान मंत्रीजी का भी जन्म दिवस है इस दोहरे पर्व को मनाना हमारा कर्त्तव्य है। गायत्री परिवार नालासोपारा ने इस त्यौहार को अनाथालय के बच्चो के साथ मिल कर दीप यज्ञ के रूप में मनाया ।
हमारे वसई तालुका में वालीव गाव में आशा सदन नामक एक अनाथालाय है, यहाँ १५० अनाथ बालिकाए रहती है । इस आश्रम का सञ्चालन क्रिस्टियन कम्युनिटी की साध्वीया करती है । जिनके सहयोग से हम इन बालिका ओ से मिले, इनके साथ एक दिन बिताया। इनकी छोटी छोटी बाते सुनी और अपनी बाते कही । हमारे कार्यकर्ता श्री महेश भाई ने इन सभी बालिकाओ के लिए रात्रि भोजन की व्यवस्था की , श्री महेश भाई ने अपने हाथो से भोजन बनाया एवं बच्चो को खिलाया । श्री के के द्विवेदीजी ने ज्ञान रथ से बालिकाओ में पुस्तक रुपी गुरु प्रसाद का वितरण किया । कार्यक्रम में शांति माता तिवारी , श्री नारायण भाई पटेल, के के द्विवेदी जी , श्री जवाहर गुप्ताजी , श्री निलेश पटेल ,श्री महेश भाई शाह की उपस्थिति रही, दीप यज्ञ का सञ्चालन श्री हेमराज जी ने किया। आश्रम की साध्वियो के पावन हस्तो से दीप प्रज्वलित किया गया एवं दीप यज्ञ संपन किया गया । बच्चो को देश भक्तो की कहानीया बताकर राष्ट्र प्रेम की भावना बढाई गयी । मेट्रिक की छात्राओं को अच्छे नंबर लाने के लिए किस प्रकार से पढाई करनी है यह बताया गया । आगे की पढाई के लिए मार्गदर्शन किया गया। बच्चो के प्यार को पाकर हम इतने भावविभोर हो गए की जिसका शब्दों में वर्णन नहीं हो सकता ।
इस बालिका ओ की तरह हमारे देश में लाखो की संख्या में परिवार विहीन बच्चे है जो सडको पर अपना जीवन गुजार रहे है ,मजदूरी कर रहे है , क्या इन बच्चो के प्रति हमारा कोई कर्त्तव्य नहीं है ?क्या इन बच्चो को हम प्यार नहीं दे सकते ? क्या इन्हें संस्कार नहीं दे सकते? अगर गायत्री परिवार के कार्यकर्ता थान ले तो प्रत्येक शक्ति पीठ एवं प्रज्ञा पीठ ऐसे अनाथ बालको के लिए संस्कार केंद्र बन सकते है , इन बच्चो के शिक्षण एवं भोजन की व्यवस्था कर सकते है , लकिन सवाल है अपने आप को कर्त्तव्यनिष्ठ बनाने का समाज के प्रति अपने आप को समर्पित करने का , हम सुधार लाना चाहते है लेकिन क्या युग परिवर्तन इन अनाथ, लाचार बच्चो सहयोग के बिना हो सकता है? युग परिवर्तन हम नहीं हमारी आनेवाली पीढ़ी लाएगी लेकिन हमारा कर्त्तव्य है की हम हमारी आने वाली पीढ़ी को संस्कारित करे, सबसे पहले अपने बच्चे बाद में आस पड़ोस के बच्चे, गाव महोल्ले के बच्चे .....समाज के पीड़ित बच्चे , अनाथ बच्चे... इन सभी को संस्कारित करना हमारा कर्त्तव्य है। इस प्रकार हम गुरु कार्य आगे करते जाये युग परिवर्तन निश्चित है। जय गुरु देव ......

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